56वां इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) गुरुवार से गोवा में शुरू हो गया है। इस नौ दिन के मेगा इवेंट में 81 देशों की 240 से ज्यादा फिल्में दिखाई जा रही हैं। रविवार को फिल्म फेस्टिवल के दौरान एक्टर अनुपम खेर ने अपनी मास्टरक्लास ‘गिविंग अप इज नॉट अ चॉइस’ में सैकड़ों लोगों को अपनी बातों से बांधे रखा। सेशन की शुरुआत में अनुपम खेर ने अपनी फिल्म सारांश का किस्सा सुनाया। उन्होंने बताया कि शूटिंग शुरू होने से कुछ दिन पहले ही उनसे फिल्म की लीड भूमिका छीन ली गई थी। इस फैसले से वे टूट गए और मुंबई छोड़ने का मन बना लिया। उन्होंने बताया कि जाने से पहले वे फिल्म के डायरेक्टर महेश भट्ट से आखिरी बार मिलने गए। अनुपम ने कहा कि जब भट्ट ने उनका रिएक्शन देखा, तो उन्होंने फैसला बदला और रोल वापस दे दिया। यह फिल्म उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुई। अनुपम ने कहा कि सारांश ने मुझे सिखाया कि कभी हार नहीं माननी चाहिए। हार की शुरुआत ही सफलता की पहली सीढ़ी होती है। उन्होंने आगे कहा कि मेरे सभी मोटिवेशनल स्पीच मेरी अपनी जिंदगी के अनुभवों पर आधारित हैं। सेशन के दौरान अनुपम खेर ने अपनी लाइफ के कई उदाहरण दिए। उन्होंने बताया कि वे एक छोटे घर में 14 लोगों के साथ रहते थे। उनके दादा बहुत खुशमिजाज इंसान थे। उन्होंने सिखाया था कि खुशी बड़ी चीजों से नहीं, बल्कि छोटी-छोटी बातों से मिलती है। अनुपम खेर ने अपने बचपन की एक याद शेयर की। उनके पिता फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में क्लर्क थे। एक बार जब उन्होंने मार्कशीट देखी तो पता चला कि अनुपम क्लास में 60 में से 58वें नंबर पर थे। अनुपम ने बताया, “पापा नाराज नहीं हुए। उन्होंने कहा कि जो बच्चा हमेशा पहले आता है, उसे अपने रिजल्ट को बनाए रखने का दबाव रहता है, लेकिन जो 58वें नंबर पर है, उसके पास सुधार की बहुत जगह है। अगली बार 48वां नंबर लाना। अपनी ही बायोपिक के हीरो बनो: अनुपम खेर
सेशन के दौरान अनुपम खेर ने समझाया कि पर्सनैलिटी का मतलब यह नहीं कि आप दूसरों जैसे बनें, बल्कि खुद से खुश रहें। उन्होंने लोगों से कहा कि खुद पर भरोसा रखें और अपनी लाइफ की कहानी के लीड कैरेक्टर बनें। अनुपम ने सवाल किया, “जिंदगी आसान क्यों होनी चाहिए? मुश्किलें ही आपकी बायोपिक को सुपरहिट बनाती हैं।” सेशन के आखिर में अनुपम ने कहा कि ‘गिविंग अप इज नॉट अ चॉइस’ सिर्फ एक लाइन नहीं, बल्कि मेहनत से भरी सच्चाई है। उन्होंने कहा, “अगर आप कुछ चाहते हैं, तो आपको मेहनत करनी होगी, त्याग करना होगा और खुद को समझाना होगा। निराशा आएगी, लेकिन अगर आप हार मान गए, तो कहानी वहीं खत्म हो जाती है।”
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