<p style=”text-align: justify;”>जब बात आती है हिंदी सिनेमा के उन कलाकारों की जो समय के साथ नहीं बदले, तो सचिन पिलगांवकर का नाम सबसे ऊपर आता है. सिर्फ उनकी आवाज और हाव-भाव ही नहीं, बल्कि उनका चेहरा भी बिलकुल वैसा ही है जैसे 40-50 साल पहले था. 67 की उम्र में भी वह अभी भी लुक के मामले में युवाओं को टक्कर देते हैं, और उनका अभिनय… वह तो वक्त के साथ और भी गहरा और दमदार होता गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सचिन की कहानी उनकी बहुमुखी प्रतिभा से रंगीन है</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सचिन की कहानी सिर्फ उनके चेहरे और अभिनय की खूबसूरती तक सीमित नहीं है, बल्कि उनकी बहुमुखी प्रतिभा से रंगीन है. बात करें 1975 की सुपरहिट फिल्म ‘शोले’ की, तो सचिन ने इसमें न केवल रहीम चाचा के बेटे अहमद का रोल निभाया था, बल्कि वह फिल्म के असिस्टेंट डायरेक्टर भी थे. यानी इस फिल्म में इन्होंने दो रोल निभाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस फिल्म की शूटिंग लगभग दो साल चली थी, और उस समय निर्देशक रमेश सिप्पी इतने सारे हिस्सों की शूटिंग एक साथ संभाल नहीं पा रहे थे. इसलिए उन्होंने अपनी पूरी टीम के साथ अलग-अलग यूनिट बनाई. एक्शन सीन और दूसरे बड़े सीन की अलग-अलग टीमों ने काम किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसी बीच, रमेश सिप्पी ने सचिन को सेकंड यूनिट का जिम्मा सौंपा, यानी वे एक्शन सीन के शूट की निगरानी असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर करेंगे. वैसे ये जिम्मेदारी किसी भी नए या आम कलाकार को नहीं दी जाती, लेकिन सचिन की लगन और फिल्म से जुड़ाव को देखकर सिप्पी ने उन्हें चुना. <span style=”font-family: -apple-system, BlinkMacSystemFont, ‘Segoe UI’, Roboto, Oxygen, Ubuntu, Cantarell, ‘Open Sans’, ‘Helvetica Neue’, sans-serif;”>सचिन ने न सिर्फ स्क्रीन पर अभिनय किया, बल्कि फिल्म के पीछे जाकर भी काम संभाला. इस किस्से का खुलासा खुद सचिन ने एक इंटरव्यू मे बात करते हुए किया था.</span></p>
<p style=”text-align: justify;”><span style=”font-family: -apple-system, BlinkMacSystemFont, ‘Segoe UI’, Roboto, Oxygen, Ubuntu, Cantarell, ‘Open Sans’, ‘Helvetica Neue’, sans-serif;”><br /><img src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2025/08/16/81d4176e058938c9aeadd0cceda5625717553561868861287_original.png” width=”435″ height=”577″ /></span></p>
<p style=”text-align: justify;”><span style=”font-family: -apple-system, BlinkMacSystemFont, ‘Segoe UI’, Roboto, Oxygen, Ubuntu, Cantarell, ‘Open Sans’, ‘Helvetica Neue’, sans-serif;”> <strong>सचिन के बचपन की कहानी</strong></span></p>
<p style=”text-align: justify;”><span style=”font-family: -apple-system, BlinkMacSystemFont, ‘Segoe UI’, Roboto, Oxygen, Ubuntu, Cantarell, ‘Open Sans’, ‘Helvetica Neue’, sans-serif;”>17 अगस्त 1957 को मुंबई के एक कोंकणी परिवार में जन्मे सचिन पिलगांवकर सिर्फ एक कलाकार नहीं, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल हैं. उनकी कहानी बचपन से ही खास रही है, जब वे महज चार साल के थे.</span></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><span style=”font-family: -apple-system, BlinkMacSystemFont, ‘Segoe UI’, Roboto, Oxygen, Ubuntu, Cantarell, ‘Open Sans’, ‘Helvetica Neue’, sans-serif;”>राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी उन्हें सम्मानित किया गया</span></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><span style=”font-family: -apple-system, BlinkMacSystemFont, ‘Segoe UI’, Roboto, Oxygen, Ubuntu, Cantarell, ‘Open Sans’, ‘Helvetica Neue’, sans-serif;”>राजा परांजपे की मराठी फिल्म ‘हा माझा मार्ग एकला’ से उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रखा, और इस बेहतरीन शुरुआत के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. इसके बाद उन्होंने कई बाल कलाकार के रूप में यादगार फिल्में दीं, जैसे ‘अजब तुझे सरकार’, जिसके लिए उन्हें एक बार फिर राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गयाबचपन में मिली इस कामयाबी ने सचिन को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी. </span></p>
<p style=”text-align: justify;”><span style=”font-family: -apple-system, BlinkMacSystemFont, ‘Segoe UI’, Roboto, Oxygen, Ubuntu, Cantarell, ‘Open Sans’, ‘Helvetica Neue’, sans-serif;”>उन्होंने लीड एक्टर के तौर पर ‘गीत गाता चल’, ‘बालिका वधू’, ‘अंखियों के झरोखों से’, और ‘नदिया के पार’ जैसी फिल्मों में लीड रोल निभाकर अपनी प्रतिभा का जादू बिखेरा. हर किरदार में उनकी सहजता और दमदार अभिनय को खूब सराहा गया. वह सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं रहे, सचिन; उन्होंने हिंदी, मराठी, कन्नड़ और भोजपुरी सिनेमा में भी अपनी छाप छोड़ी. </span></p>
<p style=”text-align: justify;”><span style=”font-family: -apple-system, BlinkMacSystemFont, ‘Segoe UI’, Roboto, Oxygen, Ubuntu, Cantarell, ‘Open Sans’, ‘Helvetica Neue’, sans-serif;”>साथ ही, टीवी की दुनिया में भी उन्होंने कमाल किया. ‘तू तू मैं मैं’ और ‘कड़वी खट्टी मीठी’ जैसे लोकप्रिय धारावाहिकों में उनके अभिनय ने दर्शकों का दिल जीत लिया. न सिर्फ एक अभिनेता, बल्कि एक निर्देशक के रूप में भी उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई. सचिन पिलगांवकर की यह सफर लोगों के लिए प्रेरणादायक है.</span></p>
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