बोनी कपूर हिंदी सिनेमा के जाने-माने फिल्म प्रोड्यूसर हैं। उन्होंने वो सात दिन और मिस्टर इंडिया जैसी फिल्मों का निर्माण किया है, लेकिन इस मुकाम तक पहुंच पाना उनके लिए आसान नहीं था। जब बोनी कपूर के पिता सुरिंदर मुंबई आए थे, तब परिवार को राज कपूर के गैराज में रहना पड़ता था। हालांकि परिस्थितियां धीरे-धीरे बदलने लगीं। उनके पिता ने हिंदी सिनेमा में अपनी पहचान बनाई, लेकिन बाद में उन्हें दिल की बीमारी हो गई। ऐसे में बोनी कपूर ने परिवार की जिम्मेदारी संभालने का फैसला किया। आज बोनी कपूर के 70वें जन्मदिन पर आइए जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ बड़े और अहम फैसलों के बारे में… पिता थे बीमार तो घर की जिम्मेदारी संभाली बोनी कपूर का बचपन बेहद गरीबी में बीता। बोनी कपूर के पिता सुरिंदर कपूर का जन्म पेशावर में हुआ था। पृथ्वीराज कपूर और सुरिंदर चचेरे भाई थे। पृथ्वीराज करियर बनाने के लिए पेशावर से मुंबई आए थे और फिर उन्होंने मेहनत के बल पर अपना एक अलग मुकाम हासिल किया था। जब पृथ्वीराज खुद मुंबई में सैटल हो गए तो उन्होंने फिर भाई सुरिंदर को भी मुंबई बुला लिया। यहां सुरिंदर कपूर, पृथ्वीराज के गैराज में परिवार के साथ रहा करते थे। शुरुआत में गीता बाली के असिस्टेंट बनकर काम किया। इसके बाद उन्होंने फिल्म प्रोडक्शन में कदम रखा। सुरिंदर के तीन बेटे बोनी कपूर (प्रोड्यूसर), अनिल कपूर (एक्टर) और संजय कपूर (एक्टर) हैं। जब सुरिंदर कपूर को दिल की बीमारी हो गई, तो उन्हें तनाव नहीं देने के लिए बोनी कपूर ने खुद घर की जिम्मेदारी संभाली। बोनी कपूर ने गलाटा प्लस से बातचीत में कहा- जब मेरी दादी का निधन हुआ, तो अनिल और मैंने तय किया कि वह एक्टिंग करेंगे और मैं प्रोडक्शन संभालूंगा। घर पर भी किसी को तो काम चलाना ही था। मेरे पिता को दिल की बीमारी थी। हम उन्हें तनाव नहीं देना चाहते थे। बता दें कि सुरिंदर कपूर का 24 सितंबर, 2011 को निधन हो गया था। साल 1980 में पहली फिल्म डायरेक्ट की बोनी कपूर ने साल 1980 में अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने फिल्म ‘हम पांच’ प्रोड्यूस की थी, जिसमें मिथुन चक्रवर्ती, संजीव कुमार, शबाना आजमी, राज बब्बर और नसीरुद्दीन शाह लीड रोल में थे। इसके बाद बोनी की अगली फिल्म ‘वो सात दिन’ थी, जो काफी हिट हुई थी। इस फिल्म से बोनी कपूर ने अपने छोटे भाई अनिल कपूर को हिंदी सिनेमा में लॉन्च किया था। फिल्म में उनके साथ पद्मिनी कोल्हापुरी और नसीरुद्दीन शाह लीड रोल में थे। इनके अलावा बोनी कपूर ने 1987 की साइंस फिक्शन फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ प्रोड्यूस की थी। ये फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी जो उस साल की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी। मिस्टर इंडिया एक कल्ट क्लासिक फिल्म थी, जिसमें श्रीदेवी, अनिल कपूर के अपोजिट नजर आई थीं। 10 साल छोटी मोना शौरी से की थी पहली शादी बोनी कपूर और मोना शौरी ने 1983 में अरेंज मैरिज की थी। बोनी पत्नी मोना से 10 साल बड़े थे। दोनों ही इस विवाह से खुश थे। साल 1985 में उन्होंने बेटे अर्जुन कपूर को जन्म दिया और 1987 में बेटी अंशुला कपूर का जन्म हुआ। परिवार में सब ठीक चल रहा था, लेकिन फिर शादी के 13 साल बाद अचानक खबर आती है कि बोनी कपूर और श्रीदेवी दोनों शादी करने वाले हैं। जैसे ही मोना को यह बात पता चली तो उन्हें शॉक लगा और एहसास हुआ कि उनका घर टूट चुका है। इसके बाद दोनों ने साल 1996 में तलाक ले लिया। तलाक के बाद भी मोना, बोनी के घर में लगभग दस साल रहीं और उसके बाद दोनों अलग हो गए। जिस साल तलाक लिया, उसी साल श्रीदेवी से की शादी इसके बाद उसी साल 1996 में बोनी कपूर ने श्रीदेवी से शादी कर ली थी। उस वक्त एक्ट्रेस प्रेग्नेंट थीं। फिर साल 1997 में जाह्नवी कपूर का जन्म हुआ और 5 नवंबर, 2000 को दूसरी बेटी खुशी कपूर का जन्म हुआ। 2018 में श्रीदेवी के असमय निधन ने बोनी को तोड़कर रख दिया था। वह आज भी कई सार्वजनिक मौकों पर श्रीदेवी को याद कर भावुक हो जाते हैं। मिस्टर इंडिया फिल्म के लिए बढ़ाकर दी श्रीदेवी को फीस दरअसल, बोनी कपूर और श्रीदेवी की लवस्टोरी भले ही फिल्म मिस्टर इंडिया से शुरू हुई हो, लेकिन बोनी को श्रीदेवी से प्यार तभी हो गया था, जब वे 1970 में तमिल फिल्में किया करती थीं। बोनी उनसे मिलने के लिए चेन्नई भी गए, लेकिन श्रीदेवी के सिंगापुर में होने के कारण उनसे मुलाकात नहीं हुई। फिर उनकी डेब्यू हिन्दी फिल्म ‘सोलहवां साल’ रिलीज हुई और फिर उन्होंने मन बना लिया कि वह बतौर निर्माता श्रीदेवी के साथ काम करेंगे। ऐसे में एक दिन जब एक फिल्म के सेट पर बोनी एक्ट्रेस से मिलने पहुंचे तो श्रीदेवी ने बताया कि उनका काम उनकी मां देखती हैं। इसके बाद बोनी कपूर ने श्रीदेवी की मां से बात की और फिल्म मिस्टर इंडिया का ऑफर दे डाला, लेकिन जवाब में उनकी मां ने कहा कि फिल्म के लिए श्रीदेवी की फीस 10 लाख रुपए होगी। बोनी ने जवाब दिया कि वे 11 लाख रुपए देंगे। श्रीदेवी की मां खुश हुईं और फिर एक्ट्रेस ने फिल्म के लिए हां कर दी। उन्होंने श्रीदेवी के लिए खास इंतजाम किए। हालांकि कहा जाता है कि उस समय श्रीदेवी का मिथुन चक्रवती से अफेयर चल रहा था, लेकिन फिर दोनों अलग हो गए और बोनी ने फिर श्रीदेवी से अपनी नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दीं। वे एक बार उनसे मिलने स्विट्जरलैंड भी पहुंच गए थे। जब श्रीदेवी की मां बहुत बीमार हुईं और उनका अमेरिका में इलाज चला तो उस दौरान बोनी कपूर ने श्रीदेवी का मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से सहयोग किया। उनकी मां का ट्रीटमेंट बिल भी बोनी ने चुकाया। श्रीदेवी उनके इस समर्पण से बेहद प्रभावित हुईं और उन्होंने बोनी के लव प्रपोजल को ‘हां’ कह दिया। 12 करोड़ के कर्ज में डूबे, बेचनी पड़ी थी संपत्ति साल 1987 में श्रीदेवी और अनिल कपूर स्टारर ‘मिस्टर इंडिया’ बहुत बड़ी हिट साबित हुई थी। इसकी सफलता के बाद बोनी कपूर ने दोनों एक्टर्स के साथ दूसरी फिल्म बनाने का प्लान किया और उसी साल उसकी शूटिंग भी शुरू कर दी। इस फिल्म का नाम था ‘रूप की रानी चोरों का राजा’, जो हॉलीवुड मूवी ‘द डचेस एंड द डर्टवाटर फॉक्स’ से प्रेरित थी। यह उस समय की बड़ी बजट वाली 9 करोड़ की फिल्म थी। हालांकि इसकी रिलीज में 6 साल की देरी हुई, लेकिन जब फिल्म आखिरकार रिलीज हुई, तो यह बुरी तरह फ्लॉप साबित हुई। फिल्म को बोनी कपूर ने प्रोड्यूस किया और शुरुआत में शेखर कपूर डायरेक्टर थे, लेकिन उन्हें कहानी कुछ खास नहीं लगी, इसलिए उन्होंने फिल्म छोड़ दी। बाद में इसे सतीश कौशिक ने डायरेक्ट किया। फिल्म के गाने लोगों को पसंद नहीं आए और कहानी भी अच्छी नहीं लगी। साथ ही इसका रनटाइम भी लंबा था। इन वजहों से बॉक्स ऑफिस पर फिल्म ने केवल 3 करोड़ का कलेक्शन किया। फिल्म के फ्लॉप होने से बोनी कपूर पर 12 करोड़ रुपए का कर्ज हो गया। उन्होंने अपनी कुछ प्रॉपर्टीज बेच दीं और इस कर्ज को चुकाने में उन्हें 4 साल लग गए। कोमल नाहटा से बातचीत में बोनी कपूर ने कहा कि उस मुश्किल समय में उनकी पत्नी और परिवार ने उनका पूरा साथ दिया। उन्होंने यह भी बताया कि चाहे कितनी भी परेशानी आई हो, वे कभी हारे नहीं, भले ही लोग उनसे पैसे वसूलने के लिए परेशान करते रहे। बोनी कपूर ने कहा, मेरी पत्नी मोना हमेशा मेरे साथ रहीं। वह नंगे पैर सिद्धिविनायक मंदिर तक गईं। मेरे भाई भी हमेशा मेरे साथ खड़े रहे। बोनी कपूर ने महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ की हड़ताल साल 1986 में एक ऐसा भी समय आया, जब महाराष्ट्र सरकार ने फिल्म टिकटों पर भारी-भरकम टैक्स लगा दिया था। ऐसा होते देख इंडस्ट्री के कई दिग्गजों ने इसे जनता पर अन्याय माना और सड़कों पर प्रदर्शन किया, जिनमें राज कपूर, देव आनंद, दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, राजेश खन्ना, हेमा मालिनी, बोनी कपूर, जावेद अख्तर, शबाना आजमी, और रणधीर कपूर जैसे सितारे शामिल थे। हड़ताल की वजह से फिल्म इंडस्ट्री को भारी नुकसान हुआ था। करीब 200 फिल्मों की शूटिंग बंद हो गई थी। डेढ़ लाख वर्कर्स बेरोजगार हो गए थे और स्टूडियो बंद थे। उस दौर में ये खबर विदेशों तक फैल गई थी। मामले को शांत करने के लिए एक्टर्स की एक समिति बनाई गई थी। दबाव बढ़ा तो सरकार झुकी और टैक्स 15 करोड़ से घटाकर 5 करोड़ रुपए किया। हड़ताल खत्म हुई, लेकिन नुकसान भारी था। इंडस्ट्री ने एकजुटता दिखाई और ‘होप 86′ नाम से चैरिटी शो आयोजित किया गया। इसमें सितारों ने वर्कर्स की मदद के लिए धन जुटाया, हालांकि सब खुश नहीं थे। कुछ कलाकारों को हड़ताल से ज्यादा नुकसान हुआ। कहा जाता है कि इससे कई सितारों में मनमुटाव भी बढ़ गया था। —————— बॉलीवुड की यह खबर भी पढ़िए… किरण राव@52; ‘लगान’ के सेट पर कॉफी पिलाई, बकरियां संभालीं:आमिर से शादी की बात सुनकर पेरेंट्स हैरान हुए, ‘लापता लेडीज’ से रिकॉर्ड बनाया एक ऐसी डायरेक्टर, जिसकी फिल्में भले ज्यादा शोर नहीं करतीं, लेकिन गहरा असर छोड़ जाती हैं। उनकी फिल्मों में ग्लैमर भले कम हो, लेकिन भावनाओं की गहराई हमेशा मौजूद रहती है। उनके किरदारों के चेहरे पर चमक न सही, पर उनकी आंखों में संघर्ष और दिल में उम्मीद साफ झलकती है। पूरी खबर पढ़े..
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