मिस इंडिया 2023 का खिताब जीतने वाली नंदिनी गुप्ता आज मिस वर्ल्ड के मंच पर देश को रिप्रेजेंट करने के लिए तैयार हैं। नंदिनी ने दैनिक भास्कर के साथ खास बातचीत में अपने प्रोजेक्ट ‘एकता’, ‘ब्यूटी विद ए पर्पस’ मिशन, मिस वर्ल्ड की तैयारियों, संघर्षों और अपनी प्रेरणाओं के बारे में खुलकर बात की। पढ़िए बातचीत के कुछ प्रमुख अंश: ‘ब्यूटी विद ए पर्पस’ सिर्फ सुंदरता नहीं, एक सोच है नंदिनी ने कहा कि मिस वर्ल्ड सिर्फ सुंदरता नहीं, बल्कि उद्देश्य की बात करती है। हर प्रतिभागी ‘ब्यूटी विद ए पर्पस’ के तहत एक प्रोजेक्ट लाती है। इस बारे में उन्होंने कहा, ‘मेरा प्रोजेक्ट ‘एकता’ मेरे चाचाजी से प्रेरित है। उन्हें पोलियो है, बोलने में दिक्कत होती है और बौद्धिक अक्षमताएं भी हैं। बचपन से देखा है कि लोग उन्हें नजरअंदाज करते थे, उनका मजाक उड़ाते थे। यही सब देखकर मेरे दिल में यह ख्याल आया कि कुछ करना चाहिए। ‘एकता’ यानी एकजुटता। इस प्रोजेक्ट के जरिए नंदिनी अब तक 3000 से ज्यादा बच्चों और 50 से अधिक शिक्षकों से मिल चुकी हैं। वह 8 से ज्यादा गैर-सरकारी ऑर्गेनाइजेशन के साथ भी काम कर रही हैं। ‘मैंने महसूस किया कि इन बच्चों को सहानुभूति नहीं, सहयोग चाहिए। मैं चाहती हूं कि वे खुद को आत्मनिर्भर महसूस करें। इसलिए मेरा सपना है कि सरकार भी विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए अलग स्कूल न बनाए, बल्कि उन्हें सामान्य स्कूलों के अलग हिस्से में पढ़ाए। इससे वे भी सम्मानित महसूस करेंगे।’ 10 साल की उम्र में तय किया था सपना- मिस वर्ल्ड बनना है नंदिनी ने बताया कि जब वह 10 साल की थीं, तब पहली बार ऐश्वर्या राय बच्चन को फिल्म ‘देवदास’ में देखा था। ‘मुझे उनकी खूबसूरती ने बहुत प्रभावित किया। जब मम्मी ने बताया कि वह मिस वर्ल्ड रह चुकी हैं, तो पहली बार इस ताज के बारे में जाना। उस वक्त ताज, गाउन और मेकअप ही सब कुछ लगता था। पर जब खुद तैयारी शुरू की, तब समझ आया कि असली सुंदरता आपकी मेहनत और आपकी सोच होती है।’ जब मम्मी ने बताया कि वह भी मिस मध्य प्रदेश रह चुकी हैं नंदिनी के लिए एक इमोशनल मोमेंट तब आया, जब उन्होंने मिस इंडिया का ताज जीत लिया और एक हफ्ते बाद मम्मी ने बताया कि वे भी 21 साल की उम्र में मिस मध्य प्रदेश बनी थीं। उन्होंने कहा, ‘लेकिन वे मिस इंडिया में हिस्सा नहीं ले सकीं, क्योंकि तब घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी और समाज का नजरिया भी अलग था। मुझे यह सुनकर हैरानी हुई कि मम्मी ने कभी अपने सपनों का बोझ मुझ पर नहीं डाला। अब जब मैं मिस वर्ल्ड में जा रही हूं, तो मैं उनके भी सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रही हूं।’ मुंबई में खुद को बनाना सबसे बड़ा संघर्ष था नंदिनी ने अपने संघर्षों पर खुलकर बात करते हुए कहा, ‘सबसे बड़ा चैलेंज था- अपने घर से बाहर निकलना और एक नए शहर में खुद को साबित करना। मैं कोटा जैसी जगह से आती हूं, जहां 9 बजे रात को सब सो जाते हैं। मुंबई में तो रात 9 बजे के बाद जिंदगी शुरू होती है। यह शहर कभी नहीं सोता और इसी में आपको अपनी पहचान बनानी होती है। मैं रोज खुद से वादा करती हूं कि आज कुछ नया सीखूंगी, खुद पर काम करूंगी और एक बेहतर इंसान बनूंगी।’ पापा ने हमें बेटियों की तरह नहीं, बेटों की तरह पाला नंदिनी ने बताया कि उनके पापा किसान हैं और हमेशा से बेटियों को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे।
‘जब गांव के लोग पूछते थे कि आपके घर बेटा नहीं है, तो पापा कहते थे- मेरी बेटियां ही मेरा गर्व हैं। उन्होंने हमें ट्रैक्टर चलाना सिखाया, हार्वेस्टर चलाना सिखाया। वो कहते थे कि एक लड़की को हर चीज का ज्ञान होना चाहिए, सिर्फ इसलिए नहीं कि जरूरत पड़े, बल्कि ताकत के लिए।’
उन्होंने यह भी बताया कि अब पापा उनसे ज्यादा उनके सपनों में विश्वास करते हैं और हर कदम पर उनका साथ देते हैं। आज भी मेरे पिताजी खेती करते हैं नंदिनी ने बड़े गर्व से बताया, ‘मेरे पिताजी आज भी खेती करते हैं। मेरे दादाजी 92 साल की उम्र में भी खेतों में जाते थे। हमारा परिवार जमीन से गहरा जुड़ा हुआ है और शायद यही जुड़ाव मुझे भी जमीन से जोड़े रखता है।’ मिस वर्ल्ड की तैयारी किसी त्योहार की तरह कर रही हूं मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता की तैयारी को लेकर नंदिनी ने कहा, ‘ऐसा लग रहा है जैसे दिवाली से पहले की तैयारियां चल रही हों। 10 दिन बाद 120 देशों के प्रतिभागी भारत आने वाले हैं और मुझे लग रहा है जैसे 120 मेहमान मेरे घर आ रहे हैं। मैं चाहती हूं कि भारत की मेहमाननवाजी का वो जादू सबको दिखाऊं, खासतौर पर अपने राजस्थानी अंदाज में।’ अगर अच्छा रोल मिला, तो फिल्मों में भी काम करना चाहूंगी बॉलीवुड या फिल्मों में जाने के सवाल पर नंदिनी ने खुलकर कहा, ‘अगर अच्छा मौका मिला, तो जरूर काम करना चाहूंगी। चाहती हूं कि सिर्फ ग्लैमर नहीं, बल्कि ऐसे किरदार करूं जो मुझे निखारें, मुझे कुछ नया सिखाएं। साउथ इंडस्ट्री और बॉलीवुड दोनों में काम करने का सपना है।’ अब मुझे लगता है- मैं जैसी हूं, वैसी ही काफी हूं नंदिनी ने बताया कि पेजेंट्री ने उन्हें आत्मविश्वास दिया। ‘पहले मैं सोचती थी कि लोग क्या कहेंगे, अब सोचती हूं कि लोग क्या कहेंगे कि मैं कितना अच्छा कर रही हूं। माइक उठाते वक्त अब वो डर नहीं लगता। अब मैं खुद के लिए जी रही हूं और चाहती हूं कि जो भी लड़की साधारण पृष्ठभूमि से आती है, उसे लगे कि वह भी कुछ कर सकती है।’ प्रियंका चोपड़ा मेरी प्रेरणा हैं इंटरव्यू के आखिर में नंदिनी ने कहा, ‘हर इंटरव्यू से पहले मैं प्रियंका चोपड़ा के स्पीचेस सुनती हूं। वो जिस आत्मविश्वास और गर्व के साथ अपनी बात रखती हैं, वही मेरी प्रेरणा है। उनसे यह सीखा है कि सपनों को जिंदा रखना है और दुनिया को दिखाना है कि हम भी किसी से कम नहीं।’
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