एक्टर विकास मानकतला ने वेब सीरीज स्पेशल ऑप्स 2 से ओटीटी पर डेब्यू किया है। इसमें वह अभय सिंह के किरदार में नजर आ रहे हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने बताया कि डायरेक्टर नीरज पांडे के साथ काम करना उनका सपना था। साथ ही उन्होंने इंडस्ट्री से ब्रेक लेने पर भी बात की। काफी लंबे समय बाद आपने कमबैक किया है। कैसा महसूस हो रहा है? बहुत अच्छा महसूस हो रहा है। भले ही मैंने थोड़ा ब्रेक लिया, लेकिन दर्शकों का जो प्यार मुझे शुरुआत से खासकर लेफ्ट राइट लेफ्ट से लेकर अब तक मिला है, वो बेहद खास है। स्पेशल ओप्स 2 के बाद भी जो स्नेह और तारीफ मुझे मिल रही है, वो इस वापसी को और भी खास बना देती है। ओटीटी पर डेब्यू के लिए आपने स्पेशल ऑप्स को ही क्यों चुना? सच कहूं तो मैं डायरेक्टर नीरज पांडे सर का बहुत बड़ा फैन हूं। मैं न केवल उनके निर्देशन का, बल्कि उनके लिखे कंटेंट का भी बहुत बड़ा फैन हूं। जब मैंने पहली बार ए वेडनेसडे देखी थी, तो मैं हैरान रह गया था कि इतनी सादगी के साथ भी कोई कहानी इतनी गहराई से दिल को छू सकती है। उस फिल्म को देखकर मैं सिर्फ एक दर्शक के रूप में नहीं, बल्कि एक आर्टिस्ट के तौर पर भी काफी प्रभावित हुआ और सीखा। मैं पिछले 14 सालों से नीरज सर के साथ काम करना चाहता था और अब जाकर मुझे ये मौका मिला। इसलिए जब ओटीटी डेब्यू की बात आई, तो स्पेशल ऑप्स और नीरज सर के साथ काम करना मेरे लिए एक सपने के पूरे होने जैसा था। मैं बेहद खुश हूं कि मेरा डिजिटल डेब्यू उनके साथ हुआ। स्पेशल ऑप्स 2 के एजेंट अभय सिंह के लिए क्या तैयारी करनी पड़ी? अभय सिंह का किरदार काफी पावरफुल है, इसलिए मुझे उसके लिए 8 से 10 किलो तक वजन बढ़ाना पड़ा। एक्शन तो था ही, लेकिन उससे भी ज्यादा फिजिकल ट्रेनिंग करनी पड़ी। हालांकि स्कूल के दिनों में मैं मार्शल आर्ट्स और रेसलिंग जैसी ट्रेनिंग पहले ही कर चुका था, लेकिन इस रोल के लिए मुझे फ्लेक्सिबिलिटी, स्ट्रेचिंग और थोड़ा MMA जैसी ट्रेनिंग्स करनी पड़ीं। शारीरिक तैयारी के साथ-साथ सबसे जरूरी था किरदार के माइंडसेट को समझना। जब मैंने उसकी सोच और मिजाज को पकड़ लिया, तो बाकी सब आसान हो गया। कभी कोई ऐसा किरदार निभाया है, जिसमें आप इतने ज्यादा घुस गए हों कि उससे निकलना मुश्किल हो गया हो? हां, एक किरदार था वीर, जो मैंने गुलाम में निभाया था। वो एक बहुत ही इन्टेंस और थोड़ा मेड टाइप कैरेक्टर था। उसमें जो एग्रेसन था, वो काफी हद तक इंटरनलाइज्ड था। ऐसा ही कुछ अभय के किरदार में भी है, उसके भीतर बहुत दर्द और रेजेंटमेंट है। कभी-कभी ऐसे इमोशन्स आपके असली व्यक्तित्व पर असर डालने लगते हैं। आपको समझ ही नहीं आता कि शिफ्ट का बटन कहां है, कैसे खुद से अलग किया जाए। वीर का असर मुझ पर इतना गहरा था कि जब मैं घर लौटता था, तो मेरी पत्नी गुंजन कहती थीं वीर को सेट पर ही छोड़कर आया करो। ऐसे किरदार दिल और दिमाग में बस जाते हैं। उनसे बाहर आना कभी-कभी वाकई मुश्किल हो जाता है। करियर के दौरान आपने 3-4 साल का ब्रेक लिया। एक कलाकार के तौर पर यह रिस्की फैसला था। कभी पछतावा हुआ? एक आर्टिस्ट की जर्नी बहुत अकेली होती है। जब आप टीवी कर रहे होते हैं, तो उस समय आप फाइनेंशियली बहुत स्ट्रॉन्ग नहीं होते। लेकिन फिर भी टीवी छोड़ना आसान नहीं होता, क्योंकि आपके ऊपर कई जिम्मेदारियां भी होती हैं। जब मैंने लेफ्ट राइट लेफ्ट किया था, उसके बाद भी मैंने एक ब्रेक लिया। हालांकि उस दौरान मैं कुछ न कुछ करता रहा, जैसे कैमरे के पीछे का काम सीखना। क्योंकि मुझे अपने प्रोफेशन से बहुत प्यार है, तो सीखना हमेशा अच्छा लगता है। कोविड के समय हम सभी को घर में रहना पड़ा। वो फेज मेरे लिए बहुत बदलने वाला रहा। उस वक्त खुद को समझने और नया सीखने का मौका मिला। पछतावा नहीं है, क्योंकि जब मैं कमबैक किया, तब भी लोगों ने उतना ही प्यार दिया। मेरे लिए यही सबसे बड़ी बात है। अभय के किरदार के लिए आपने कई ट्रेनिंग लीं। सोशल मीडिया पर फैंस पूछ रहे हैं, अगर उन्हें भी वो सब सीखना हो तो क्या करें? सबसे जरूरी है एडिट करना यानी डिसिप्लिन और सेलेक्टिव होना। चाहे आप कोई भी टेक्निक सीख रहे हों या ट्रेनिंग कर रहे हों, ये जरूरी है कि आप समझें कि आपके लिए क्या काम करता है और क्या नहीं। हर किसी का शरीर, माइंडसेट और सीखने की क्षमता अलग होती है। इसलिए अपने ऊपर काम करते वक्त सही चीजों को चुनना और बाकी को एडिट करना ही असली सीक्रेट है।
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