इंडियन आइडल-2’ सिंगिंग शो के मेगा फाइनलिस्ट रहे सिंगर रवि त्रिपाठी आज मध्यप्रदेश सरकार, लता मंगेशकर अवॉर्ड और किशोर कुमार अवॉर्ड की ज्यूरी में न सिर्फ शामिल हैं, बल्कि 6000 से अधिक लाइव शोज कर चुके हैं। बतौर संगीतकार और गायक उनकी हालिया रिलीज फिल्म ‘संत तुकाराम’ है। इसके अलावा उन्होंने एक संगीतकार के रूप में तीन हिंदी और एक मराठी फिल्म में शान, सोनू निगम, सुरेश वाडकर जैसे नामी गायकों से गाने गवाए हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने अपनी जिंदगी के बारे में कुछ खास किस्से शेयर किए। फिल्म ‘संत तुकाराम’ से पहले ‘बगावत’ की है आदित्य ओम के निर्देशन में बनी फिल्म ‘बगावत’ की है। इसमें बतौर संगीतकार और गायक के रूप में जुड़ा हूं। ‘बगावत’ में बतौर संगीतकार मेरे दो गाने हैं, एक स्वयं और दूसरा मालिनी अवस्थी से गवाया है। इसमें आदित्य ओम अभिनय भी कर रहे हैं। आदित्य ओम और शिव सागर सिंह ने कहा कि फिल्म ‘संत तुकाराम’ बना रहे हैं। हम चाहते हैं कि इसमें आप ‘माऊली माऊली…’ गाना गए। अब चैलेंज यह रहा कि ‘माऊली…’ पर कई गाने आ चुके हैं। यह गाना उन सबसे कैसे अलग साउंड करे। लेकिन गाना पढ़ा, तब भगवान के आशीर्वाद से मात्र तीन से चार मिनट में धुन बन गई। ‘संत तुकाराम’ से पहले चार फिल्में चर चुका हूं संगीतकार के तौर पर ‘संत तुकाराम’ से पहले तीन हिंदी और एक मराठी फिल्म कर चुका हूं। ‘संत तुकाराम’ आखिरी फिल्म थी, जो पहले रिलीज हुई। इन फिल्मों में कैलाश खेर, गुरू सुरेश वाडेकर, सोनू निगम, शान और मैंने और पलक मुछाल ने गाया है। चूंकि सुरेश वाडेकर के साथ गुरू-शिष्य के अलावा 25 वर्षों से पुत्रवत नाता रहा है, इसलिए इंडस्ट्री के लोग जानते-पहचानते हैं। सोनू निगम पांव पर चढ़े प्लास्टर के साथ गाना गाए मैंने बतौर म्यूजिक डायरेक्टर उक्त सिंगर्स को अप्रोच किया, तब सब सरप्राइज हो गए। कैलाश खेर को अप्रोच किया, तब उन्होंने कहा कि बिल्कुल गाऊंगा। उनके मैनेजर से फीस के बारे में पूछा, तब उन्होंने कहा कि रवि का म्यूजिक है, कुछ भी नहीं लूंगा। उन्हें जो लगे, दे दें, मैं बोलूंगा नहीं। यही भाव सोनू निगम, शान और सुरेश वाडकर का भी रहा। किसी ने पेमेंट के बारे में नहीं बोला। उस समय सोनू निगम के पांव का ऑपरेशन हुआ था और उसी समय मुझे गाना करना था। मैंने फोन करके बताया कि गाना करना है, क्योंकि शूट पर जाना है। वे पांव पर चढ़े प्लास्टर के साथ गाने के लिए आए। एक चेयर पर बैठे और दूसरे चेयर पर पांव रखकर गाना गाए। अगर इंडस्ट्री में आपका संबंध अच्छा है, तब यहां लोग आउट ऑफ वे जाकर को-ऑपरेट करते हैं। जबकि यही लोग एक-एक गाना गाने के लिए काफी पैसे लेते हैं और गाना पसंद करने के बाद गाते हैं। सुरेश वाडकर ने पेमेंट तक नहीं लिया गांव से (1997 में) आने के बाद गुरु सुरेश वाडकर के पास सिंगिंग सीखने गया था। कुछ समय बाद उन्होंने कहा कि मेरे घर पर आकर रहो। फिर तो साथ में रहना, उठना-बैठना और आना-जाना होता था। उन्हें गाने के लिए जब अप्रोच किया, तब बहुत खुश हुए। गाते समय उन्होंने ऐसा एहसास नहीं होने दिया कि मैं गुरु और तुम शिष्य हो, बल्कि एक नौसिखिए की तरह गाया। बड़े लोगों की यही निशानी होती है। सुरेश वाडकर ने एक हिंदी और एक मराठी फिल्म में गाया है, पर पेमेंट तक नहीं लिया। उन्होंने कहा कि यह तुम्हारी पहली फिल्म है, कुछ नहीं लूंगा। दादू की बातें सुनकर मेरी आंखें नम्र हो गईं रवीन्द्र जैन का भी बहुत प्यार मिला। दादू के यहां शुरू से मेरा आना-जाना रहा। उन्होंने साईंबाबा की आरती ‘ओम जय साईंनाथ..’ सहित गुरमीत चौधरी अभिनीत ‘रामायण’ सीरियल में मुझसे बहुत सारे गाने गवाए। दादू का सेंस ऑफ ह्यूमर इतना अच्छा था कि कई बार उनकी बातें सुनकर लोग लोट-पोट हो जाते थे। एक बार उन्हें कहीं लेकर जा रहा था, तब उनके पैर में ठोकर लगी। मैंने कहा कि दादू संभालना, तब उन्होंने कहा कि बेटा! बचपन से ही इतनी बार ठोकर लगी है कि अब आदत-सी हो गई है। उनकी तड़प भरी बातें सुनकर मेरी आंखें नम हो गईं। दादू इकलौते थे, जो लिखते भी थे, धुन भी बनाते थे, गायक भी अच्छे थे। वे एक साथ हिंदी और अंग्रेजी, दोनों वादकों को अरेंज करते थे। रियलिटी शो अब रियल नहीं रियलिटी शो शुरुआती दौर में रियल होता था। मैं इंडियन आइडल-2 में आया था, तब लाइन भूलने पर दोबारा रीटेक नहीं होता था। आज स्टेज पर गाते कुछ और हैं, उसके बाद स्टूडियो में जाकर माइक पर डब करते हैं, बेसुरे ट्यूनिंग को सुर में लाते हैं और दिखाते हैं कि स्टेज पर लाइव गा रहे हैं। इसमें देखते हैं कि बड़ा मधुर गा रहा है, लेकिन रियल में गाते हैं, तब मजा नहीं आता। आज ऐसे सिंगर चल नहीं पा रहे हैं, क्योंकि उनकी शुरुआत धोखे से हुई है। आपकी शुरुआत ही झूठ से हुई है, तब कैसे चल पाओगे। हां, कुछ सिंगर हैं, जो अच्छा गाते हैं। दूसरा रियलिटी शो के जरिए चार-छह महीने में बिना तैयारी के फेम मिल गई, जबकि गाने और शोज के लिए ट्रेंड नहीं हो। नया गाना मिलता है, तब फेल हो जाते हैं वरना पॉपुलैरिटी तो बहुत मिलती है। रियलिटी शो का अनरियल होना और बहुत ज्यादा भेड़चाल होना तकलीफ का काम है। लेकिन जो मेहनत करता रहेगा, वह सफल जरूर होगा। अचानक फ्यूज उड़ गया, तब ऑडियंस की तालियां पर गाया लाइव शो का अनुभव अद्भुत होता है। एक बार लखनऊ में शो करने गए। वहां पर ‘तेरे मस्त मस्त दो नैन…’ गाने के बीच अचानक म्यूजिक का फ्यूज उड़ गया। पब्लिक तक आवाज पहुंचनी बंद हो गई, तभी मैंने दिमाग लगाते हुए कहा कि अभी आप बजाना बंद करो। अब मैं ऑडियंस की तालियों पर गाऊंगा। कभी दाएं तो कभी बाएं तरफ बैठी ऑडियंस से तालियां बजवाई। उनके बीच खूब कंपटीशन चला। इस तरह पूरे 10 से 15 मिनट ऑडियंस की तालियों पर गाना गाया और इधर फ्यूज ठीक किया गया। सब कुछ ठीक होने पर ऑर्गनाइजर हाथ जोड़कर खड़े हो गए। कहने लगे कि भैया! बचा लिया वरना आज तो ऑडियंस हमारा स्टेज तोड़ डालती।
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